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Not a fakir, who will pick up bag and leave, says Ravish Kumar after his Twitter account hacked

A group called Legion is on a hacking spree. After hacking twitter handle of Rahul Gandhi, Indian National Congress and Vijay Mallya, the group on Sunday hacked Barkhaa Dutt’s account and hours later, NDTV India’s Senior Journalist, Ravish Kumar.

Slamming the people behind it, he said these people sit inside the headquarters of a political party and do such things. He said if Rahul Gandhi's account could be hacked and if no one has yet been nabbed for it, who'll ask about the journalists? (Source:IE)
Slamming the people behind it, he said these people sit inside the headquarters of a political party and do such things. He said if Rahul Gandhi's account could be hacked and if no one has yet been nabbed for it, who'll ask about the journalists? (Source:IE)

Senior journalist Ravish Kumar today reacted strongly over his twitter account being hacked by a group, called Legion, which had earlier hacked the Twitter accounts of Congress vice president Rahul Gandhi, his party Vijay Malla as also his senior colleague in NDTV Barkha Dutt. In his blog titled, ‘ Hum fakir nahin hain jo jhola lekar chal de’, the senior journalist said that whoever is trying to scare him, is actually trying to scare the people of the country.

Expressing surprise over the hack, since he did not tweet anything in almost a year, the journalist further said that his name must have created so much fear in the minds of hackers that they have resorted to such abusive language on his twitter handle. “You can imagine the fear of my words among the group that even though I have stopped tweeting for last one year, trolls still come to abuse me,” he said.

Ravish Kumar, while lambasting, the hackers for their act, pointed out that these coward people sit inside the headquarter of a political party and indulge in such activities. Expressing his doubt, whether the culprits will ever be caught, he wrote, “When the hacker of Rahul Gandhi’s twitter account has not been traced, then who care for us.”

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The NDTV anchor also warned that nobody is safe in these times and people should ensure stronger protection of their email accounts and other social media accounts. If people want to remain safe in these difficult times, they don’t just need to change passwords, but also political beliefs from time to time. Challenging the hackers Ravish Kumar further said that he would continue to write and is not a fakir, who’ll just pick up his bag and leave.

The senior journalist’s Twitter account was hacked last night. Hours before twitter account of another senior journalist Barkha Dutt was also hacked by the same group. They had used offensive language and gave out email account details of the both Kumar and Dutt. Here’s the full text of the blog:

मेरे हमसफ़र दोस्तों….

किसी को मेरे ईमेल और फोन में क्या दिलचस्पी हो सकती है वो हैक करने की योजना बनाएगा। शनिवार की मध्यरात्रि मेरी वरिष्ठ सहयोगी बरखा दत्त का ईमेल हैक कर लिया गया। उनका ट्वीटर अकाउंट भी हैक हुआ। उसके कुछ देर बाद मेरा ट्वीटर अकाउंट हैक कर लिया गया। उससे अनाप शनाप बातें लिखीं गईं। जब मैंने एक साल से ट्वीट करना बंद कर दिया है तब भी उसका इतना ख़ौफ़ है कि कुछ उत्पाति नियमित रूप से गालियां देते रहते हैं। ये सब करने में काफी मेहनत लगती है। एक पूरा ढांचा खड़ा किया जाता होगा जिसके अपने ख़र्चे भी होते होंगे। ढाई साल की इनकी मेहनत बेकार गई है मगर उस डर का क्या करें जो मेरा नाम सुनते ही इनके दिलों दिमाग़ में कंपकपी पैदा कर देता है। ज़रूर कोई बड़ा आदमी कांपता होगा फिर वो किसी किराये के आदमी को कहता होगा कि देखता नहीं मैं कांप रहा हूं। जल्दी जाकर उसके ट्वीटर हैंडल पर गाली दो। दोस्तों, जो अकाउंट हैक हुआ है उस पर मेरा लिखा तो कम है, उन्हीं की बदज़ुबान और बदख़्याल बातें वहां हैं। मैं चाहता हूं कि वे मुझसे न डरें बल्कि मेरा लिखा हुआ पढ़ें।

मेरी निजता भंग हुई है। मेरा भी ईमेल हैक हुआ है। बरखा दत्त की भी निजता भंग हुई है। मैं सिर्फ रवीश कुमार नहीं हूं। एक पत्रकार भी हूं। कोई हमारे ईमेल में दिलचस्पी क्यों ले रहा है। क्या हमें डराने के लिए? आप बिल्कुल ग़लत समझ रहे हैं। ये आपको याद दिलाया जा रहा है कि जब हम इन लोगों के साथ ऐसा कर सकते हैं तो आपके साथ क्या करेंगे याद रखना। पत्रकारों को जो भी ताकतें डराती हैं दरअसल वो जनता को डराती हैं। अगर हमारी निजता और स्वतंत्रता का सवाल आपके लिए महत्वपूर्ण नहीं है तो याद रखियेगा एक दिन आपकी भी बारी आने वाली है। जिस लोकतंत्र में डर बैठ जाए या डरने को व्यापक मंज़ूरी मिलने लगे वो एक दिन ढह जाएगा। आपका फर्ज़ बनता है कि इसके ख़िलाफ़ बोलिये। डरपोकों की बारात बन गई है जो किसी मुख्यालयों के पीछे के कमरे में बैठकर ये सब काम करते हैं। अभी तो पता नहीं है कि किसकी हरकत है। जब राहुल गांधी के बारे में ठोस रूप से पता नहीं चल सका तो हम लोगों को कौन पूछ रहा है। आख़िर वो कौन लोग हैं, उन्हें किसका समर्थन प्राप्त है जो लगातार हमारे ट्वीटर अकाउंट पर आकर गालियां बकते हैं। अफवाहें फैलाते हैं। आपको बिल्कुल पता करना चाहिए कि क्या यह काम कोई राजनीतिक पार्टी करती है। ऐसा काम करने वाले क्या किसी राजनीतिक दल के समर्थक हैं। पता कीजिए वर्ना आपका ही पता नहीं चलेगा।

आप सोचिये कि आपका पासवर्ड कोई चुरा ले। आपके ईमेल में जाकर ताक झांक करे तो क्या आपको ठीक लगेगा। क्या आप ऐसी साइबर और राजनीतिक संस्कृति चाहेंगे? आपका जवाब हां में होगा तो एक दिन आपके साथ भी यही होगा। हैकरों ने बता दिया है कि भारत साइबर सुरक्षा के मामले में कमज़ोर है। हैकिंग पूरी दुनिया में होती है लेकिन यहां की पुलिस भी इसके तार को जोड़ने में अक्षम रहती है। साइबर सुरक्षा के नाम पर अभी तक दो चार चिरकुट किस्म के नेताओं के ख़िलाफ़ लिखने वालों को ही पकड़ सकी है। वो नेता चिरकुट ही होता है जो अपने ख़िलाफ़ लिखी गई बातों के लिए किसी को अरेस्ट कराता है या अरेस्ट करने की संस्कृति को मौन सहमति देता है। जब हम लोगों के अकाउंट हैक किये जा सकते है तो ज़रूरत है कि लोगों को बेहतर तरीके साइबर सुरक्षा के मामले में जागरूक किया जाए। गांव देहात के लोगों के साथ ऐसा हुआ तो उन पर क्या बीतेगी। हमारा तो लिखा हुआ लुटा है, अगर ग़रीब जनता की कमाई लुट गई तो मीडिया ही नहीं जाएगा। ज़्यादा से ज्यादा किसी रद्दी अख़बार के कोने में छप जाएगा जिसके पहले पन्ने पर सरकार का ज़रूरत से ज़्यादा गुणगान छपा होगा।

मैं ढाई साल से इस आनलाइन सियासी गुंडागर्दी के बारे में लिख रहा हूं। आख़िर वे कितने नकारे हो सकते हैं जो किसी का ईमेल हैक होने पर खुशी ज़ाहिर कर रहे हैं। क्या अब हमारी राजनीति और फोकटिया नेता ऐसे ही समर्थकों के दम पर घुड़की मारेंगे। ये जिस भी दल के समर्थक या सहयोगी है उसके नेताओं को चाहिए कि अपने इन बीमार सपोर्टरों को डाक्टर के पास ले जाएं। इनकी ठीक से क्लास भी लें कि ये ढाई साल से मेरे पीछे मेहनत कर रहे हैं और कुछ न कर पाये। अगर किसी नेता को दिक्कत है तो ख़द से बोले न, ठाकुर की फौज बनाकर क्यों ये सब काम हो रहा है। अगर इतना ही डर हो गया है तो छोड़ देंगे। लिखा तो है कि अब छोड़ दूंगा। ऐश कीजिए। चौराहे पर चार हीरो खड़ा करके ये सब काम करने वाले इतिहास के दौर में हमेशा से रहे हैं। इसलिए भारतीय साहित्य संस्कृति में चौराहा बदमाश लंपटों के अड्डों के रूप में जाना जाता है। हमारी भोजपुरी में कहते है कि लफुआ ह, दिन भर चौक पर रहेला। ज़ाहिर है अकाउंट हैक होने पर इन जश्न मनाने वाले लोगों के बारे में सोच कर मन उदास हुआ है।ये घर से तो निकलते होंगे मां बाप को बता कर कि देश के काम में लगे नेताओं का काम करने जा रहे हैं। लेकिन वहां पहुंच कर ये गाली गलौज का काम करते हैं। आई टी सेल गुंडो का अड्डा है। दो चार शरीफों को रखकर बाकी काम यही सब होता है। लड़कियां ऐसे लड़कों से सतर्क रहें। इनसे दोस्ती तो दूर परिचय तक मत रखना। वो लोग भी बीमार हैं जो ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं।

तो दो बाते हैं। एक तो किसी का भी अकाउंट हैक हो सकता है। हैक करने वाला अक्सर दूर देश में भी बैठा हो सकता है। आई टी सेल इस तरह का काम करने वालों को ठेका भी दे सकता है. आपको ताज़िंदगी मालूम न चलेगा। मैं तो यह भी सोच कर हैरान हूं कि आख़िर वो कौन लोग होंगे जो बरखा दत्त का ईमेल पढ़ना चाहेंगे। मेरा ईमेल पढ़ना चाहेंगे। अगर इतनी ही दिलचस्पी है तो घर आ जाइये। कुछ पुराने कपड़े हैं, धोने के लिए दे देता हूं। जाने दीजिए, समाज में ऐसे लोग हमेशा मिलेंगे लेकिन आप जो खुद को चिंतनशील नागरिक समझते हैं, इस बात को ठीक से समझिये। हमारे बाहने आपको डराया जा रहा है। हमारा क्या है। फिर से नया लिख लेंगे। आप नहीं पढ़ेंगे तो भी लिख लेंगे। हम फ़कीर नहीं हैं कि झोला लेकर चल देंगे। हम लकीर हैं। जहां खींच जाते हैं और जहां खींच देते हैं वहां गहरे निशान पड़ जाते हैं। सदियों तक उसके निशान रहेंगे। मैं किसी के बोलने देने का इंतज़ार नहीं करता हूं। जो बोलना होता है बोल देता हूं। कुलमिलाकर निंदा करते हैं और जो भी भीतर भीतर गुदगुदा रहे हैं उन्हें बता देते हैं कि आप एक बेहद ख़तरनाक दौर में रह रहे हैं। आपके बच्चे इससे भी ख़तरनाक दौर में रहेंगे। पासवर्ड ही नहीं, राजनीतिक निष्ठा भी बदलते रहिए। साइबर और सियासत में सुरक्षित रहने के लिए आप इतना ही कर सकते हैं। इतना कर लीजिए।

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First published on: 11-12-2016 at 18:58 IST
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